*पिता की तबीयत खराब हुई तो साइकिल से निकला बेटा इक्कीस सौ किलोमीटर का फासला तय करने*
Coronavirus in India: देशभर में घातक कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की है। पीएम ने 24 मार्च को देशवासियों से अपील की कि वो बाहर ना निकलें और बहुत जरुरी होने पर ही अपने घरों से बाहर निकलें। देशहित में लॉकडाउन जहां बहुत जरुरी है वहीं कुछ लोगों को इससे परेशानी का भी सामना करना पड़ा रहा है।
ऐसे ही एक हैं चौकीदार की नौकरी करने वाले मोहम्मद आरिफ (35) जो बीमार और भूखा-प्यासे होने के बावजूद करीब 2100 किलोमीटर दूर स्थित अपने घर जम्मू की यात्रा पर निकल पड़े हैं। बीते गुरुवार को मुंबई से राजौरी जाने के लिए निकले आरिफ लगातार साइकिल चला रहे हैं। वो चाहते हैं कि अपने पिता वजीर हुसैन को देख सकें जिनकी बुधवार को अचानक ज्यादा तबीयत खराब हो गई थी। गुरुवार को आरिफ को जैसे ही अपने पिता की बीमारी की खबर मिली उन्होंने मुंबई में प्रवासी मजदूर से एक साइकिल 500 रुपए में किराए पर ली।
अंग्रेजी अखबार द टेलीग्राफ ने शुक्रवार दोपहर को उनसे फोन पर बात की जब वह गुजरात की सीमा के पास एक पेड़ के आराम कर रहे थे। उन्होंने एक दिन में करीब तीन सौ किलोमीटर की दूरी तय की थी। आरिफ ने कहा, 'मैं स्वस्थ्य नहीं हूं। गर्मी की वजह से बेहोश भी हो गया था। मैंने कुछ घंटे आराम करने का फैसला लिया क्योंकि आगे बढ़ने के लिए मेरे पास ऊर्जा नहीं बची थी। मैंने आज कुछ खाया भी नहीं है। मेरे पास एक रोटी का टुकड़ा था जिसे मैंने कल खा लिया था।' आरिफ कहते हैं कि ये लॉकडाउन मुझे बहुत दर्ज दे रहा है। कहीं से भी कोई मदद नहीं मिल रही है।
मोहम्मद आरिफ कहते हैं, 'मेरे साथ चाहे कुछ भी हो मगर मैं तब तक आराम से नहीं करूंगा जब अपने पिता से नहीं मिला लेता हूं। मुझे नहीं पता कि वो बच पाएंगे या नहीं। मैं उनके लिए दुआ कर रहा हूं। मां का कई साल पहले देहांत हो चुका है और पिता की देखभाल के लिए घर पर कोई नहीं है।'
आरिफ के तीन बच्चे अपनी पत्नी के साथ रहते हैं। उनके पिता हुसैन राजामौरी शहर से लगभग 10 किमी दूर गंबीर ब्राह्मणा गाँव में एक कमरे के मकान में अकेले रहते हैं। मामले में आरिफ के चचेरे भाई महमूद जो उसी गांव में रहते हैं, ने बताया कि हुसैन को ब्रेन हैमरेज हुआ था और उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है।
महमूद ने बताया कि हमने राजौरी अस्पताल में एक रात बिताई लेकिन सुबह डॉक्टरों ने हमें मेरे चाचा को घर ले जाने के लिए कहा। मुझे नहीं पता कि उन्होंने ऐसा क्यों कहा। उनकी हालत में सुधार नहीं हो रहा। वो अपने हाथ-पैर नहीं हिला सकते और केवल कभी-कभी उनकी आँखें खुलती हैं। महमूद ने विनती करते हुए कहा कि हम गरीब लोग हैं। कृपया मेरे चचेरे भाई के लिए एक वाहन की व्यवस्था करें ताकि वह घर पहुंच सके और अपने पिता को देख सकेcapacitynews.in