संपादक की पसंद / नई दिल्ली *जब अटल बिहारी वाजपेयी ने पूछा था- देवी प्रसाद, शाम की क्या व्यवस्था है और फिर ऐसे हुआ था व्हिस्की, चिकन का इंतजाम* Updated: Dec 25 2019 08:49 PM

संपादक की पसंद / नई दिल्ली
*जब अटल बिहारी वाजपेयी ने पूछा था- देवी प्रसाद, शाम की क्या व्यवस्था है और फिर ऐसे हुआ था व्हिस्की, चिकन का इंतजाम*
Updated: Dec 25 2019 08:49 PM | 


भारत रत्न से सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री और BJP के दिवंगत वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी को आपातकाल के दिनों में जेल जाना पड़ा था। वह किसी तरह सलाखों से बाहर आए, जिसके बाद उन्हें फिर गिरफ्तार कर लिया गया था। हालांकि, उस दौरान उनका स्वास्थ्य दुरुस्त नहीं था, लिहाजा उन्हें इस बार जेल के बजाय अस्पताल ले जाया गया था।


वाजपेयी तब नई दिल्ली के AIIMS में थे, जहां उनके कमरे के पास ही NCP नेता देवी प्रसाद त्रिपाठी का कमरा था। उन्होंने तब शाम को उन्हीं से पूछा था, "शाम की क्या व्यवस्था है।" बीजेपी नेता के इस सवाल के बाद त्रिपाठी ने किसी तरह अच्छी व्हिस्की का इंतजाम किया था, जबकि खुद वाजपेयी ने चिकन के साथ अन्य खाने की चीजें मंगाई थीं।


1975 के इस किस्से का जिक्र वाजपेयी के जीवन पर आधारित किताब 'हार नहीं मानूंगा' (एक अटल जीवन गाथा) में भी मिलता है। Harper Hindi (Harper Collins Publishers India Ltd.) द्वारा प्रकाशित पत्रकार विजय त्रिवेदी की किताब के पेज नंबर-47 के मुताबिक, कोर्ट में वाजपेयी से जुड़ी कुछ याचिकाओं पर सुनवाई होनी थी।


किताब में आगे कहा गया, अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 17 जुलाई रखी थी। उसी दिन सुबह छह बजे जेल अफसर ने आकर वाजपेयी को जगाया और कहा- आज आप छोड़े जा रहे हैं। तैयार हो जाएं।


हालांकि, इस पर अटल जी समेत अन्य को शक हुआ कि सरकार इसके बहाने कुछ और ही चाहती है। 10 बजे वे लोग गाड़ी से बाहर निकले तो उन्हें दोबारा से अरेस्ट कर लिया गया।


अटल जी के साथ तब लाल कृष्ण आडवाणी, मधु लिमये और श्याम बाबू भी थे। चारों को दिल्ली लाया गया, जहां अटल जी को छोड़कर बाकी तीनों को रोहतक जेल शिफ्ट किया गया। वाजपेयी जी की तबीयत ठीक न होने के कारण उन्हें दिल्ली में ही रखा गया।


उनके करीबी दोस्त के मुताबिक, वाजपेयी का कमरा उस वक्त एम्स में डीपी त्रिपाठी के नजदीक ही थी। उन्होंने त्रिपाठी से पूछा था- शाम के लिए क्या व्यवस्था है?


इस पर त्रिपाठी ने अस्पताल के नीचे जा पीसीओ से भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी की बहन को फोन घुमाया और अच्छी व्हिस्की मंगाने का निर्देश दिया। इधर, वाजपेयी ने भी किसी तरह चिकन और खाने की अन्य चीजें मंगाई और कुछ इस तरह तब उनकी शाम की व्यवस्था हुई थीcapacity news 


Popular posts
<no title>*ब्रेकिंग* भोपाल कलेक्टर का आदेश। केंद्र द्वारा दी गयी राहत का भोपाल में नहीं होगा असर। केंद्र ने दी है दुकानें खोलने की छूट। राज्यों को दिए हैं दुकान खोलने के मामले में फैसला लेने का अधिकार। भोपाल कलेक्टर ने आज आदेश जारी करके कहा कि 3 मई तक कोई छूट नहीं रहेगी। 3 मई के बाद समीक्षा करके आगे का फैसला लिया जाएगा।
*पत्रकारों के लिए क्या....?* केंद्र सरकार और प्रदेश की सरकार के द्वारा जिस तरह बीपीएल कार्ड धारियों, श्रमिकों और किसानों इत्यादि को जिस तरह से राहत राशियां एवं मुफ्त खाद्य सामग्री प्रदान करने की घोषणा की गई है, क्या इसी तरह पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य करने वाले पत्रकारों के हितों का भी सरकारों के द्वारा ख्याल नहीं रखना चाहिए? देश में आज नाम मात्र के बराबर अपने जोखिम भरे कार्यों के बदले पारितोषिक प्राप्त करने वाले पत्रकारों की संख्या नगण्य है। *ज्यादातर पत्रकार बगैर किसी सैलरी या मेहनताने के काम करते हैं,* ऐसी स्थितियों में उन पत्रकारों को भी अपने घर परिवार के भरण-पोषण विशेषकर ऐसी विकराल परिस्थितियों में तो और भी कठिन चुनौतियों से गुजरना पड़ता है। *क्या ऐसी स्थितियों में हमारी सरकारों को पत्रकारों के प्रति भी संवेदनशील नहीं होना चाहिए??* पत्रकारिता जैसे चुनौतीपूर्ण कार्य करने वाले उन सभी पत्रकारों को हमारी सरकारों के द्वारा कुछ ना कुछ राहत राशि प्रदान कर संबल प्रदान करने की आवश्यकता है। जिससे कि आने वाले समय में लोकतंत्र का यह चौथा स्तंभ और मजबूती के साथ खड़ा होकर अपनी जिम्मेदारियों को भरपूर तरीके से कार्यों का निर्वहन कर सके। कहते हैं *भूखे भजन न होय गोपाला, जा धरी तुम्हारी कंठी माला।।* भूखे पेट समाज सेवा नहीं होती, समाज को सजगता प्रदान करने हेतु अपनी कलम के माध्यम से प्रेरित कर लोगों को आगाह करने वाला लोकतंत्र का यह *चौथा स्तंभ आज पूरी तरह उपेक्षा का शिकार* है। जिस पर हमारी *सरकारों एवं जनप्रतिनिधियों को ध्यान देने की आवश्यकता* है । 🙏🏻🙂🙏🏻🤷🏻‍♂✒️✒️
मध्यप्रदेश युवक कॉंग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सैय्यद सऊद हसन द्वारा जारी किया गया Facebook Post काफ़ी चर्चा का विषय बन गया है। इस में उन्होंने भोपाल सांसद प्रज्ञा ठाकुर का लापता होने की बात कही है। इंगलैंड की De. Montfort University Students Union (डि. मॉंट्फ़ोर्ट यूनिवर्सिटी छात्र संघ) के उपाध्यक्ष (वाइस प्रेज़िडेंट) रह चुके इस युवा नेता ने बताया कि भोपाल सांसद लगातार ग़ायब हैं और इस कोरोना महामारी की मार झेल रहे भोपाल जिसने उन्हें सांसद बनाया उस शहर की उन्हें कोई चिंता नहीं। जहाँ एक तरफ़ कमल नाथ एवं दिग्विजय सिंह लगातार मध्यप्रदेश की जनता के भलाई का काम कर रहे हैं वही दूसरी तरफ़ प्रज्ञा ठाकुर जैसी नेता का कोई अता पता नहीं है। अंत में सैय्यद सऊद हसन ने कहा भोपाल की जनता ऐसे नेताओं को कभी माफ़ नहीं करेगी और सही समय आने पर सबक़ सिखाएगी
Image
कुदरत का कहर भी जरूरी था साहब हर कोई खुद को खुदा समझ रहा था। जो कहते थे,मरने तक की फुरसत नहीं है वो आज मरने के डर से फुरसत में बेठे हैं। माटी का संसार है खेल सके तो खेल। बाजी रब के हाथ है पूरा साईंस फेल ।। मशरूफ थे सारे अपनी जिंदगी की उलझनों में,जरा सी जमीन क्या खिसकी सबको ईश्वर याद आ गया ।। ऐसा भी आएगा वक्त पता नहीं था, इंसान डरेगा इंसान से ही पता नहीं था
एल बी एस हॉस्पिटल पर इलाज न करने का आरोप