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*IPS अब्दुर रहमान: मोदी सरकार के फैसलों के मुखर आलोचक, NRC पर भी थी तल्ख टिप्पणी*
Updated: Dec 12 2019 02:26 PM |
नागरिकता संशोधन बिल (CAB) के खिलाफ गुस्से का इजहार करते हुए इस्तीफा देने वाले आईपीएस अफसर अब्दुर रहमान केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं। उन्होंने कई मौकों पर मोदी सरकार के फैसलों की आलोचना की है। रहमान ने असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) लागू किए जाने की भी आलोचना की थी और कहा था कि NRC ने बीजेपी की दशकों पुरानी धारणा को बेबुनियाद करार दे दिया था क्योंकि एनआरसी से बाहर रह गए 19 लाख से ज्यादा लोगों में 14 लाख से ज्यादा हिन्दू हैं।
उन्होंने एक सितंबर को ट्वीट किया, "एनआरसी से बाहर रखा गया आंकड़ा, दशकों से बनाई गई प्रचार की तुलना में बहुत कम है। इसमें कई 'वास्तविक भारतीय' शामिल हैं। एक व्यक्ति रजिस्टर में शामिल है जबकि पूरे परिवार को बाहर कर दिया गया है। कुछ मामलों में परिवार का सभी सदस्य अंदर है तो एक-दो लोग एनआरसी से बाहर हैं। कई सरकारी सेवा में कार्यरत पुलिस और अन्य अधिकारी भी रजिस्टर से बाहर रह गए हैं।" ट्विटर पर सक्रिय रहमान ने उम्मीद जताई कि ट्रिब्यूनल से लोगों को इंसाफ मिल सकेगा।
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण और अयोध्या में श्रीराम का भव्य मूर्ति की स्थापना पर 17 नवंबर को उन्होंने ट्वीट किया, "100 और 1000 करोड़ की मूर्तियों का निर्माण आज प्राथमिकता है। लेकिन नागरिकों को स्वच्छ हवा, पानी और स्वस्थ भोजन उपलब्ध कराना एजेंडे में बिल्कुल नहीं है। यह सब इसलिए है क्योंकि हमारे मन में सवाल नहीं है। हम सवाल नहीं करते और बहस नहीं करते।"
मुस्लिमों के अधिकार के लिए आवाज उठाने वाले रहमान ने सच्चर कमेटी की सिफारिशों के बाद मुसलमानों की स्थिति पर 'डिनायल एंड डिप्रिवेशन' नामक किताब लिखी है। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों को कम पैसे आवंटित करने पर भी निशाना साधा। उन्होंने लिखा, "19% अल्पसंख्यकों के लिए अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय को बहुत कम राशि आवंटित की गई है, जो नीचे तक पहुंचते-पहुंचते और कम हो जाएगी। वास्तविकता में बहुत कम राशि क्षेत्र में खर्च होती है। इसका निष्कर्ष यह होता है कि पैलेट्री आवंटन से अल्पसंख्यकों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आ पाता है।"
बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर द्वारा नाथूराम गोडसे को देशभक्त कहे जाने पर भी उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा, "जुबां पे गांधी, दिल में गोडसे!" हैदराबाद गैंगरेप के आरोपियों के एनकाउंटर पर जब सरकार में बैठे लोगों ने वाजिब ठहराया और करीब हर पुलिस अफसर ने उसे सही करार दिया तब रहमान ने उसकी खिलाफत की। तब उन्होंने सवाल उठाया कि क्या पुलिसकर्मी बिना जांच के मारने के लिए अधिकृत हैं?
उन्होंने लिखा, "सजा देना न्यायपालिका का कर्तव्य है न कि पुलिस का। इन आरोपियों को ठंडे खून में मारना कई सवाल खड़े करता है। पहले एक लड़की की सुरक्षा में कर्तव्य में विफल होना और फिर हत्या करना साबित करता है कि हम एक सभ्य राज्य के रूप में कानून के शासन को बनाए रखने में विफल रहे हैं।"
बता दें कि अब्दुर रहमान महाराष्ट्र कैडर के 1997 बैच के आईजी रैंक के आईपीएस अफसर हैं। वह फिलहाल महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग में तैनात हैं। मूल रूप से वो बिहार के बेतिया के रहने वाले हैं। उन्होंने IIT से B.Tech (सिविल इंजीनियरिंग) की पढ़ाई की है। उन्होंने विभिन्न जिलों में पुलिस अधीक्षक, सरकारी रेलवे पुलिस में काम किया और पुणे में अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (प्रशासन) भी रहे। capacity news