झारखंड: सबसे कम उम्र की MLA, मां तड़ीपार-पिता जेल में, फिर भी जीतीं* झारखंड की जनता ने बीजेपी की जगह इस बार महागठबंधन पर भरोसा जताया.

*झारखंड: सबसे कम उम्र की MLA, मां तड़ीपार-पिता जेल में, फिर भी जीतीं*
झारखंड की जनता ने बीजेपी की जगह इस बार महागठबंधन पर भरोसा जताया. झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के चेहरे पर चुनाव लड़ते हुए महागठबंधन ने 47 सीटें जीती, जबकि भाजपा इस बार 25 सीटों पर सिमट गई. अब झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल का महागठबंधन सरकार बनाने जा रहा है. इस चुनाव में बड़कागांव सीट पर सबकी नज़र थी. वजह यहां की कांग्रेस प्रत्याशी अम्बा प्रसाद.
मात्र 27 साल की उम्र में उन्होंने आजसू के प्रत्याशी रोशनलाल चौधरी को 30,140 मतों से हरा कर जीत दर्ज की. अम्बा ने बैचलर्स ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन के बाद ह्यूमन रिसोर्सेज में MBA और लॉ की भी पढ़ाई की है. 2014 में अम्बा दिल्ली में रहकर UPSC की तैयारी कर रही थीं. तभी उन्हें पता चला कि उनके पिता की तबीयत ख़राब हो गई है. वहां से बड़कागांव आईं, फिर दिल्ली नहीं लौटीं.
लोकसभा चुनाव 2019 में भी उन्होंने अपनी मां निर्मला देवी की प्रतिनिधि बनकर प्रचार किया. इनका नाम तब लाइमलाइट में आया जब पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी ने इनके और साथ के अन्य कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए रैली की थी.
जिस बड़कागांव सीट पर अम्बा ने जीत दर्ज की वो उनके पिता योंगेंद्र साव ने 2009 में जीती थी. कांग्रेस के टिकट पर. वह मंत्री भी बने थे. कई आरोप लगे, वह जेल चले गए.
इसके बाद अगले चुनाव में यानी 2014 में अम्बा की मां निर्मला देवी ने इस सीट पर चुनाव लड़ा. कांग्रेस के ही टिकट पर. वो भी चुनाव जीतीं. यानी लगातार तीन चुनावों में इस सीट पर इसी परिवार का कब्ज़ा रहा है. बताया जाता है कि बड़कागांव सीट पर उनके पिता योगेंद्र साव का अच्छा ख़ासा दबदबा है. वो यहां के बाहुबली माने जाते हैं.
योगेंद्र साव पर करीब 24 मुक़दमे दर्ज हैं. वो रामगढ़ स्पंज आयरन फैक्ट्री से रंगदारी मांगने के दोषी पाए गए थे. झारखंड हाईकोर्ट ने सज़ा सुनाई और सुप्रीम कोर्ट ने इस सज़ा को बरकरार रखा.
बताया जाता है कि अम्बा प्रसाद के पिता योगेन्द्र साव और मां निर्मला देवी 2016 में हुए कफ़न आंदोलन के बाद चर्चा में आए थे. दरअसल, NTPC ने माइनिंग (खनन) के लिए किसानों की जमीन ली थी, जिसका लोग बेहतर मुआवजा मांग रहे थे.
इस दौरान प्रोटेस्ट हिंसक हो उठा और पुलिस फायरिंग में चार लोग मारे गए. झारखंड में लोग इसे बड़कागांव गोलीकांड के नाम से जानते हैं. इस मामले के बाद निर्मला देवी को गिरफ्तार किया गया. लेकिन जबरन घुसकर गांववालों ने उन्हें पुलिस कस्टडी से छुड़ा लिया. इसके बाद जब मामले की सुनवाई शुरू हुई तो निर्मला देवी को तड़ीपार कर दिया गया. ताकि वो मुक़दमे पर कोई असर न डाल सकें.capacity News 


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*पत्रकारों के लिए क्या....?* केंद्र सरकार और प्रदेश की सरकार के द्वारा जिस तरह बीपीएल कार्ड धारियों, श्रमिकों और किसानों इत्यादि को जिस तरह से राहत राशियां एवं मुफ्त खाद्य सामग्री प्रदान करने की घोषणा की गई है, क्या इसी तरह पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य करने वाले पत्रकारों के हितों का भी सरकारों के द्वारा ख्याल नहीं रखना चाहिए? देश में आज नाम मात्र के बराबर अपने जोखिम भरे कार्यों के बदले पारितोषिक प्राप्त करने वाले पत्रकारों की संख्या नगण्य है। *ज्यादातर पत्रकार बगैर किसी सैलरी या मेहनताने के काम करते हैं,* ऐसी स्थितियों में उन पत्रकारों को भी अपने घर परिवार के भरण-पोषण विशेषकर ऐसी विकराल परिस्थितियों में तो और भी कठिन चुनौतियों से गुजरना पड़ता है। *क्या ऐसी स्थितियों में हमारी सरकारों को पत्रकारों के प्रति भी संवेदनशील नहीं होना चाहिए??* पत्रकारिता जैसे चुनौतीपूर्ण कार्य करने वाले उन सभी पत्रकारों को हमारी सरकारों के द्वारा कुछ ना कुछ राहत राशि प्रदान कर संबल प्रदान करने की आवश्यकता है। जिससे कि आने वाले समय में लोकतंत्र का यह चौथा स्तंभ और मजबूती के साथ खड़ा होकर अपनी जिम्मेदारियों को भरपूर तरीके से कार्यों का निर्वहन कर सके। कहते हैं *भूखे भजन न होय गोपाला, जा धरी तुम्हारी कंठी माला।।* भूखे पेट समाज सेवा नहीं होती, समाज को सजगता प्रदान करने हेतु अपनी कलम के माध्यम से प्रेरित कर लोगों को आगाह करने वाला लोकतंत्र का यह *चौथा स्तंभ आज पूरी तरह उपेक्षा का शिकार* है। जिस पर हमारी *सरकारों एवं जनप्रतिनिधियों को ध्यान देने की आवश्यकता* है । 🙏🏻🙂🙏🏻🤷🏻‍♂✒️✒️
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