जावेद अख्तर, नसीरुद्दीन, नंदिता और अपर्णा सेन समेत 700 हस्तियों ने जताया CAB का विरोध, सरकार को लिखा खुला खत

*जावेद अख्तर, नसीरुद्दीन, नंदिता और अपर्णा सेन समेत 700 हस्तियों ने जताया CAB का विरोध, सरकार को लिखा खुला खत*


जावेद अख्तर, नसीरुद्दीन शाह समेत करीब 700 कलाकारों, लेखकों, शिक्षाविदों, पूर्व न्यायाधीशों और पूर्व नौकरशाहों ने सरकार से नागरिकता (संशोधन) विधेयक (CAB) वापस लेने की अपील की है। अपील करते हुए इसे भेदभाव करने वाला, विभाजनकारी और संविधान में धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के खिलाफ बताया है। इन लोगों ने लिखे एक खुले पत्र में इस बात पर जोर दिया है कि प्रस्तावित कानून भारतीय गणतंत्र के बेसिक कैरेक्टर को बदल देगा। यह संविधान द्वारा मुहैया कराए गए फेडरल स्ट्रक्चर को खतरा उत्पन्न करेगा। बता दें कि इसको लेकर देश भर में विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। वहीं असम में बंद भी बुलाया गया था।


कई बड़ी हस्तियों ने पत्र लिख जताया विरोधः इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में जावेद अख्तर, नसीरुद्दीन शाह, इतिहासकार रोमिला थापर, लेखक अमिताव घोष, अभिनेत्री नंदिता दास, फिल्मकार अपर्णा सेन और आनंद पटवर्धन, सामाजिक कार्यकर्ताओं योगेंद्र यादव, तीस्ता सीतलवाड, हर्ष मंदर, अरुणा राय और बेजवाड विल्सन, दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ए पी शाह और देश के पहले सीआईसी वजाहत हबीबुल्ला आदि शामिल हैं। इन्होंने अपना विरोध पत्र के माध्यम से जताया है।


पत्र लिख बताया बिल को संविधान विरोधीः बड़ी हस्तियों ने पत्र में लिखा है, 'सांस्कृतिक और शैक्षिक समुदायों से जुड़े हम सभी लोग इस विधेयक को विभाजनकारी, भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक करार देते हुए निंदा करते हैं। एनआरसी के साथ यह भी देशभर के लोगों के लिए अनकही पीड़ा लेकर आएगा। यह भारतीय गणतंत्र को भारी नुकसान पहुंचाएगा। यही कारण है कि हम सरकार से इस विधेयक को वापस लेने की मांग करते हैं।' बड़ी हस्तियों ने खुले शब्दों में इसे संविधान विरोधी बताया है।


विरोध में असम में था बंदः बता दें कि सात घंटे से अधिक समय तक चली बहस के बाद लोकसभा ने सोमवार (09 दिसंबर) की आधी रात को इस विधेयक को पारित कर दिया गया है। इस विधेयक में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। वहीं इसको लेकर देश के अलग अलग जगहों पर विरोध भी हो रहे हैं। असम में इसके विरोध में बंद भी बुलाया गया था।capacity news 


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