। देश में बढ़ती हुई दुष्कर्म की घटनाओं को ले कर खंडवा जिले में आक्रोश देखा जा रहा है  वहीं इस तरह के मामलों पर स

उन्नाव कांड पर उबला खंडवा, हैदराबाद पुलिस की हुई प्रशंसा। 


खंडवा। देश में बढ़ती हुई दुष्कर्म की घटनाओं को ले कर खंडवा जिले में आक्रोश देखा जा रहा है  वहीं इस तरह के मामलों पर सद्भावना मंच द्वारा गहरी चिंता भी व्यक्त की है। इस में उन्नाव कांड की कडे शब्दों में भर्त्सना कर मोमबत्ती जलाकर  2 मिनट का मौन धारण कर मृतिका को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। वही हैदराबाद में बलात्कारियों के एनकाउंटर पर वहां के पुलिस व प्रशासन के काम की भूरि- भूरि प्रशंसा की गई। यह जानकारी देते हुए प्रवक्ता निर्मल मंगवानी ने बताया कि कार्यक्रम मंच अध्यक्ष प्रमोद जैन की अध्यक्षता में आयोजित हुआ। इस मौके पर श्री जैन ने ने कहा कि यूपी में अपराधियों के बड़ा सफाई अभियान चलाए जाने की जरूरत है वहां की सरकार को भी कठोर रणनीति अपनानी होगी। यूपी समेत देश के अपराधियों में खौफ हो ताकि ऐसा दुष्कर्म करने से पहले हजार बार सोंचे। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. जगदीशचंद्र चौरे ने इस तरह के अपराधियों के हौसलों को यूपी सरकार की नाकामी बताया। उन्नाव के अदालत परिसर में बलात्कारियों ने युवती को जला डाला वह काफी दूर तक भागती रही। इसमें पुलिस प्रशासन को भी बराबर का दोषी माना जाना चाहिए। शासन, प्रशासन व अनुशासन एवं संविधान संशोधन को जागृत होना चाहिए। इस अवसर पर श्रीमती हेमलता पालीवाल, नारायण फरकले, राजेंद्र पाराशर, संजय चौबे, संजय रायकवार, राधेश्याम शाक्य, चंद्रकांत सांड, त्रिलोक चौधरी, निर्मल मंगवानी, मुरली कोडवानी, वकील खान, महेंद्र ताडगे, चंद्रशेखर सोनी, डॉ. कुरैशी एवं सद्भावना मंच के सदस्यों आदि सहित शहर भर के प्रबुद्धजनों  ने इन हो रही घटनाओं पर चिंता व्यक्त कर अपने विचार व्यक्त किये। जिलेभर में समाजसेवी एवं विभिन्न संगठनों ने श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित कर पीड़िता को श्रद्धांजलि दी जा रही हैं,capacity News 


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<no title>*ब्रेकिंग* भोपाल कलेक्टर का आदेश। केंद्र द्वारा दी गयी राहत का भोपाल में नहीं होगा असर। केंद्र ने दी है दुकानें खोलने की छूट। राज्यों को दिए हैं दुकान खोलने के मामले में फैसला लेने का अधिकार। भोपाल कलेक्टर ने आज आदेश जारी करके कहा कि 3 मई तक कोई छूट नहीं रहेगी। 3 मई के बाद समीक्षा करके आगे का फैसला लिया जाएगा।
*पत्रकारों के लिए क्या....?* केंद्र सरकार और प्रदेश की सरकार के द्वारा जिस तरह बीपीएल कार्ड धारियों, श्रमिकों और किसानों इत्यादि को जिस तरह से राहत राशियां एवं मुफ्त खाद्य सामग्री प्रदान करने की घोषणा की गई है, क्या इसी तरह पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य करने वाले पत्रकारों के हितों का भी सरकारों के द्वारा ख्याल नहीं रखना चाहिए? देश में आज नाम मात्र के बराबर अपने जोखिम भरे कार्यों के बदले पारितोषिक प्राप्त करने वाले पत्रकारों की संख्या नगण्य है। *ज्यादातर पत्रकार बगैर किसी सैलरी या मेहनताने के काम करते हैं,* ऐसी स्थितियों में उन पत्रकारों को भी अपने घर परिवार के भरण-पोषण विशेषकर ऐसी विकराल परिस्थितियों में तो और भी कठिन चुनौतियों से गुजरना पड़ता है। *क्या ऐसी स्थितियों में हमारी सरकारों को पत्रकारों के प्रति भी संवेदनशील नहीं होना चाहिए??* पत्रकारिता जैसे चुनौतीपूर्ण कार्य करने वाले उन सभी पत्रकारों को हमारी सरकारों के द्वारा कुछ ना कुछ राहत राशि प्रदान कर संबल प्रदान करने की आवश्यकता है। जिससे कि आने वाले समय में लोकतंत्र का यह चौथा स्तंभ और मजबूती के साथ खड़ा होकर अपनी जिम्मेदारियों को भरपूर तरीके से कार्यों का निर्वहन कर सके। कहते हैं *भूखे भजन न होय गोपाला, जा धरी तुम्हारी कंठी माला।।* भूखे पेट समाज सेवा नहीं होती, समाज को सजगता प्रदान करने हेतु अपनी कलम के माध्यम से प्रेरित कर लोगों को आगाह करने वाला लोकतंत्र का यह *चौथा स्तंभ आज पूरी तरह उपेक्षा का शिकार* है। जिस पर हमारी *सरकारों एवं जनप्रतिनिधियों को ध्यान देने की आवश्यकता* है । 🙏🏻🙂🙏🏻🤷🏻‍♂✒️✒️
मध्यप्रदेश युवक कॉंग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सैय्यद सऊद हसन द्वारा जारी किया गया Facebook Post काफ़ी चर्चा का विषय बन गया है। इस में उन्होंने भोपाल सांसद प्रज्ञा ठाकुर का लापता होने की बात कही है। इंगलैंड की De. Montfort University Students Union (डि. मॉंट्फ़ोर्ट यूनिवर्सिटी छात्र संघ) के उपाध्यक्ष (वाइस प्रेज़िडेंट) रह चुके इस युवा नेता ने बताया कि भोपाल सांसद लगातार ग़ायब हैं और इस कोरोना महामारी की मार झेल रहे भोपाल जिसने उन्हें सांसद बनाया उस शहर की उन्हें कोई चिंता नहीं। जहाँ एक तरफ़ कमल नाथ एवं दिग्विजय सिंह लगातार मध्यप्रदेश की जनता के भलाई का काम कर रहे हैं वही दूसरी तरफ़ प्रज्ञा ठाकुर जैसी नेता का कोई अता पता नहीं है। अंत में सैय्यद सऊद हसन ने कहा भोपाल की जनता ऐसे नेताओं को कभी माफ़ नहीं करेगी और सही समय आने पर सबक़ सिखाएगी
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कुदरत का कहर भी जरूरी था साहब हर कोई खुद को खुदा समझ रहा था। जो कहते थे,मरने तक की फुरसत नहीं है वो आज मरने के डर से फुरसत में बेठे हैं। माटी का संसार है खेल सके तो खेल। बाजी रब के हाथ है पूरा साईंस फेल ।। मशरूफ थे सारे अपनी जिंदगी की उलझनों में,जरा सी जमीन क्या खिसकी सबको ईश्वर याद आ गया ।। ऐसा भी आएगा वक्त पता नहीं था, इंसान डरेगा इंसान से ही पता नहीं था
एल बी एस हॉस्पिटल पर इलाज न करने का आरोप