ब्राह्मण विदेशी है* संयक्त राष्ट्र की रूलिंग एक्ट 66 लागू होते ही विदेशी आर्य ब्राह्मण और उनकी प्रजातिया स्वतः ही सत्ता विहीन हो जाएंगी क्योकि इस रूलिन्ग के अनुसार कोई भी विदेशी किसी भी देश का शाषक-प्रशाषक नही बन सकता है इस लिए विदेशी आर्य ब्राह्मण CAB लेकर आये जिससे

*ब्राह्मण विदेशी है*
संयक्त राष्ट्र की रूलिंग एक्ट 66 लागू होते ही विदेशी आर्य ब्राह्मण और उनकी प्रजातिया स्वतः ही सत्ता विहीन हो जाएंगी क्योकि इस रूलिन्ग के अनुसार कोई भी विदेशी किसी भी देश का शाषक-प्रशाषक नही बन सकता है इस लिए विदेशी आर्य ब्राह्मण CAB लेकर आये जिससे पाकिस्तान,बांग्लादेश,अफगानिस्तान के आड़ में यूरोप और अन्य देश मे रह रहे ब्राह्मणो को नागरिकता दिलवा सके लेकिन सबसे बड़ा रोड़ा तो डीएनए टेस्ट की आई 21मई 2001की रिपोर्ट है जिसके अनुसार भारत मे ब्राह्मण विदेशी हैं इस लिये भ्रम फैलाने के लिये वो CAB और NRC लाये क्यों कि 74.5% ओबीसी,एससी, एसटी को हिन्दू बना कर रखना विदेशी आर्य ब्राह्मणो के सामने बहुत बड़ी समस्या है इस लिये मुसलमानों को टारगेट कर सांप्रदायिक नफ़रत फैला कर 74.5% मूल निवासी (sc,st,obc) को हिन्दू बनाना ये विदेशी आर्य ब्राह्मणो की रणनीति रही है लेकिन बामसेफ की जागृति से स्थितियों में बहुत तेजी से बदलाव आ रहा है।बदलाव ही ब्राह्मणो की सबसे बड़ी समस्या है।क्योकि 72 सालो का धारावाहिक का the end होने वाला है,बस सारे मूलनिवासी (sc,st,obc & mino.) एकजुट हो जाओ 85% एक होकर राष्ट्र्व्यापी जनांदोलन मे शामिल हो जाओ हम हर हाल में आजादी लेकर रहेगे।
आजादी को अपना मकसद बनाओ CAB और NRC से विदेशी ब्राह्मण कुछ नही कर पायेगा यह केवल ख़ौफ़ पैदा करने की नीयत से हल्ला मचा रहा capacity news 


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<no title>*ब्रेकिंग* भोपाल कलेक्टर का आदेश। केंद्र द्वारा दी गयी राहत का भोपाल में नहीं होगा असर। केंद्र ने दी है दुकानें खोलने की छूट। राज्यों को दिए हैं दुकान खोलने के मामले में फैसला लेने का अधिकार। भोपाल कलेक्टर ने आज आदेश जारी करके कहा कि 3 मई तक कोई छूट नहीं रहेगी। 3 मई के बाद समीक्षा करके आगे का फैसला लिया जाएगा।
*पत्रकारों के लिए क्या....?* केंद्र सरकार और प्रदेश की सरकार के द्वारा जिस तरह बीपीएल कार्ड धारियों, श्रमिकों और किसानों इत्यादि को जिस तरह से राहत राशियां एवं मुफ्त खाद्य सामग्री प्रदान करने की घोषणा की गई है, क्या इसी तरह पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य करने वाले पत्रकारों के हितों का भी सरकारों के द्वारा ख्याल नहीं रखना चाहिए? देश में आज नाम मात्र के बराबर अपने जोखिम भरे कार्यों के बदले पारितोषिक प्राप्त करने वाले पत्रकारों की संख्या नगण्य है। *ज्यादातर पत्रकार बगैर किसी सैलरी या मेहनताने के काम करते हैं,* ऐसी स्थितियों में उन पत्रकारों को भी अपने घर परिवार के भरण-पोषण विशेषकर ऐसी विकराल परिस्थितियों में तो और भी कठिन चुनौतियों से गुजरना पड़ता है। *क्या ऐसी स्थितियों में हमारी सरकारों को पत्रकारों के प्रति भी संवेदनशील नहीं होना चाहिए??* पत्रकारिता जैसे चुनौतीपूर्ण कार्य करने वाले उन सभी पत्रकारों को हमारी सरकारों के द्वारा कुछ ना कुछ राहत राशि प्रदान कर संबल प्रदान करने की आवश्यकता है। जिससे कि आने वाले समय में लोकतंत्र का यह चौथा स्तंभ और मजबूती के साथ खड़ा होकर अपनी जिम्मेदारियों को भरपूर तरीके से कार्यों का निर्वहन कर सके। कहते हैं *भूखे भजन न होय गोपाला, जा धरी तुम्हारी कंठी माला।।* भूखे पेट समाज सेवा नहीं होती, समाज को सजगता प्रदान करने हेतु अपनी कलम के माध्यम से प्रेरित कर लोगों को आगाह करने वाला लोकतंत्र का यह *चौथा स्तंभ आज पूरी तरह उपेक्षा का शिकार* है। जिस पर हमारी *सरकारों एवं जनप्रतिनिधियों को ध्यान देने की आवश्यकता* है । 🙏🏻🙂🙏🏻🤷🏻‍♂✒️✒️
मध्यप्रदेश युवक कॉंग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सैय्यद सऊद हसन द्वारा जारी किया गया Facebook Post काफ़ी चर्चा का विषय बन गया है। इस में उन्होंने भोपाल सांसद प्रज्ञा ठाकुर का लापता होने की बात कही है। इंगलैंड की De. Montfort University Students Union (डि. मॉंट्फ़ोर्ट यूनिवर्सिटी छात्र संघ) के उपाध्यक्ष (वाइस प्रेज़िडेंट) रह चुके इस युवा नेता ने बताया कि भोपाल सांसद लगातार ग़ायब हैं और इस कोरोना महामारी की मार झेल रहे भोपाल जिसने उन्हें सांसद बनाया उस शहर की उन्हें कोई चिंता नहीं। जहाँ एक तरफ़ कमल नाथ एवं दिग्विजय सिंह लगातार मध्यप्रदेश की जनता के भलाई का काम कर रहे हैं वही दूसरी तरफ़ प्रज्ञा ठाकुर जैसी नेता का कोई अता पता नहीं है। अंत में सैय्यद सऊद हसन ने कहा भोपाल की जनता ऐसे नेताओं को कभी माफ़ नहीं करेगी और सही समय आने पर सबक़ सिखाएगी
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कुदरत का कहर भी जरूरी था साहब हर कोई खुद को खुदा समझ रहा था। जो कहते थे,मरने तक की फुरसत नहीं है वो आज मरने के डर से फुरसत में बेठे हैं। माटी का संसार है खेल सके तो खेल। बाजी रब के हाथ है पूरा साईंस फेल ।। मशरूफ थे सारे अपनी जिंदगी की उलझनों में,जरा सी जमीन क्या खिसकी सबको ईश्वर याद आ गया ।। ऐसा भी आएगा वक्त पता नहीं था, इंसान डरेगा इंसान से ही पता नहीं था
एल बी एस हॉस्पिटल पर इलाज न करने का आरोप