अपडेट *CAA, NRC पर केंद्र की सफाई- जो 1987 से पहले जन्‍मे, वे सभी भारतीय*

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*CAA, NRC पर केंद्र की सफाई- जो 1987 से पहले जन्‍मे, वे सभी भारतीय*
Updated: Dec 20 2019 07:39 PM | 


संशोधित नागरिकता कानून और एनआरसी को लेकर देशभर में चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच केंद्र सरकार ने सफाई पेश की है। एक आधिकारिक सूत्र के मुताबिक 1987 से पहले भारत में पैदा हुआ कोई भी व्यक्ति या जिसके माता-पिता 1987 से पहले पैदा हुए हों, कानून के अनुसार एक भारतीय नागरिक होंगे। संशोधित नागरिकता कानून या देश में लागू हो रही एनआरसी से किसी को डरने की जरूरत नहीं है।


नागरिकता अधिनियम संशोधन 2004 के मुताबिक असम को छोड़कर शेष देश में अगर किसी के माता-पिता में कोई भी एक भारत का नागरिक है और अवैध अप्रवासी नहीं है तो ऐसे बच्‍चों को भारतीय नागरिक माना जाएगा। अधिकारी के मुतबिक धिकारी ने कहा कि जो कोई भी व्यक्ति भारत में 1987 से पहले जन्मा है, कानून के मुताबिक उसे स्वत: ही भारत का नागरिक माना जाएगा। असम के मामले में कट ऑफ डेट 1971 है। capacity news 


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<no title>*ब्रेकिंग* भोपाल कलेक्टर का आदेश। केंद्र द्वारा दी गयी राहत का भोपाल में नहीं होगा असर। केंद्र ने दी है दुकानें खोलने की छूट। राज्यों को दिए हैं दुकान खोलने के मामले में फैसला लेने का अधिकार। भोपाल कलेक्टर ने आज आदेश जारी करके कहा कि 3 मई तक कोई छूट नहीं रहेगी। 3 मई के बाद समीक्षा करके आगे का फैसला लिया जाएगा।
*पत्रकारों के लिए क्या....?* केंद्र सरकार और प्रदेश की सरकार के द्वारा जिस तरह बीपीएल कार्ड धारियों, श्रमिकों और किसानों इत्यादि को जिस तरह से राहत राशियां एवं मुफ्त खाद्य सामग्री प्रदान करने की घोषणा की गई है, क्या इसी तरह पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य करने वाले पत्रकारों के हितों का भी सरकारों के द्वारा ख्याल नहीं रखना चाहिए? देश में आज नाम मात्र के बराबर अपने जोखिम भरे कार्यों के बदले पारितोषिक प्राप्त करने वाले पत्रकारों की संख्या नगण्य है। *ज्यादातर पत्रकार बगैर किसी सैलरी या मेहनताने के काम करते हैं,* ऐसी स्थितियों में उन पत्रकारों को भी अपने घर परिवार के भरण-पोषण विशेषकर ऐसी विकराल परिस्थितियों में तो और भी कठिन चुनौतियों से गुजरना पड़ता है। *क्या ऐसी स्थितियों में हमारी सरकारों को पत्रकारों के प्रति भी संवेदनशील नहीं होना चाहिए??* पत्रकारिता जैसे चुनौतीपूर्ण कार्य करने वाले उन सभी पत्रकारों को हमारी सरकारों के द्वारा कुछ ना कुछ राहत राशि प्रदान कर संबल प्रदान करने की आवश्यकता है। जिससे कि आने वाले समय में लोकतंत्र का यह चौथा स्तंभ और मजबूती के साथ खड़ा होकर अपनी जिम्मेदारियों को भरपूर तरीके से कार्यों का निर्वहन कर सके। कहते हैं *भूखे भजन न होय गोपाला, जा धरी तुम्हारी कंठी माला।।* भूखे पेट समाज सेवा नहीं होती, समाज को सजगता प्रदान करने हेतु अपनी कलम के माध्यम से प्रेरित कर लोगों को आगाह करने वाला लोकतंत्र का यह *चौथा स्तंभ आज पूरी तरह उपेक्षा का शिकार* है। जिस पर हमारी *सरकारों एवं जनप्रतिनिधियों को ध्यान देने की आवश्यकता* है । 🙏🏻🙂🙏🏻🤷🏻‍♂✒️✒️
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कुदरत का कहर भी जरूरी था साहब हर कोई खुद को खुदा समझ रहा था। जो कहते थे,मरने तक की फुरसत नहीं है वो आज मरने के डर से फुरसत में बेठे हैं। माटी का संसार है खेल सके तो खेल। बाजी रब के हाथ है पूरा साईंस फेल ।। मशरूफ थे सारे अपनी जिंदगी की उलझनों में,जरा सी जमीन क्या खिसकी सबको ईश्वर याद आ गया ।। ऐसा भी आएगा वक्त पता नहीं था, इंसान डरेगा इंसान से ही पता नहीं था
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