*आखिरकार DRM को दी गुम हुई किताब*
*राजभाषा अधिकारी की खुली पोल*
भोपाल रेल मंडल की राजभाषा शाखा में पूरी तरह से अंधेरगर्दी चल रही है। यहां लिए जा रहे निर्णय की जानकारी DRM तक को नहीं दी जा रही है।
ताज़ा मामला रेलवे बोर्ड द्वारा पुस्तक लेखन पर दिए जाने वाले लाल बहादुर तकनीकी लेखन पुरस्कार योजना से जुड़ा है। दरअसल, 11 दिसंबर को घोषित हुए इस पुरस्कार में भोपाल रेल मंडल के लोको पायलट नितिन मराठे द्वारा लिखी पुस्तक 'सारथी' को द्वितीय पुरस्कार के लिए चयनित किया गया।
लेकिन मामला तब उलझ गया जब इस बात का खुलासा हुआ कि इस पुरस्कार और पुस्तक की जानकारी DRM तक को नहीं दी गई थी। बिना DRM की जानकारी के ही पुस्तक को पुरस्कार के लिए भेज दिया गया था। इस मामले में जब DRM से सवाल किया गया तो उन्होंने कुछ भी जवाब नहीं दिया।
वहीं मंडल के प्रवक्ता आईए सिद्दीकी ने बताया कि राजभाषा अधिकारी के पास पुस्तक उपलब्ध नहीं है। वहीं पश्चिम मध्य रेल के राजभाषा अधिकारी विपुल ने जानकारी देते हुए बताया कि पुस्तक की एक भी प्रति जोनल कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। जिस पुस्तक को पुरस्कार मिला है वह पुस्तक मंडल और जोनल कार्यालय में उपलब्ध न होना कई तरह के सवाल खड़े करती है।
हालांकि, सूत्रों द्वारा बताया गया कि DRM द्वारा नाराजगी व्यक्त करने पर राजभाषा अधिकारी ने पुस्तक की फ़ाइल कॉपी स्थानीय एमपी नगर के किसी प्रेस से छपवा कर मंगवाई और देर शाम को DRM द्वारा इसका विमोचन करवाया गया।
आपको बता दें की मामले को लेकर जब ट्वीट किया गया तब भी DRM के एकाउंट ने यह जानकारी नहीं दी कि पुस्तक कहा मिलेगी। पूरे मामले में राजभाषा अधिकारी की भूमिका पूरी तरह से संदिग्ध है। capacity news