समान नागरिक संहिता पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए, बोले- पूर्व मुस्लिम न्यायाधीश, शायद इन्होंने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को कभी समझा ही नहीं या शायद यह मुसलमान ही नहीं*

समान नागरिक संहिता पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए, बोले- पूर्व मुस्लिम न्यायाधीश, शायद इन्होंने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को कभी समझा ही नहीं या शायद यह मुसलमान ही नहीं*


उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी सी पंत ने शनिवार को कहा कि भारत के लिये ''समान नागरिक संहिता'' पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने इसके लिये यह दलील दी कि विशेष विवाह अधिनियम या ब्रिटिश शासन द्वारा लागू किये गये उन कानूनों पर कोई आपत्ति नहीं है, जो हर किसी पर लागू होते हैं चाहे वे किसी भी धर्म के क्यों न हो। पंत ने कहा कि शिक्षा के माध्यम से समान संहिता की जरूरत के बारे में जागरूकता फैलाना समान नागरिक संहिता को स्वीकार करने में लोगों के दृष्टिकोण को व्यापक बनाने में एक अहम भूमिका निभाएगा।


उन्होंने कहा कि लोगों को अंग्रेजों (ब्रिटिश शासन) द्वारा बनाये गये कानून या विशेष विवाह अधिनियम या किशोर न्याय अधिनियम के प्रति कोई आपत्ति नहीं है। इसमें 2006 में संशोधन के बाद मुस्लिम दंपती को किसी बच्चे को गोद लेने का अधिकार दिया गया, जबकि उनके पर्सनल लॉ में यह प्रतिबंधित था।


उन्होंने 'भारतीय नागरिक संहिता-सभी भारतीयों के लिये समान नागरिक कानून' विषय पर आयोजित एक सेमिनार में यह कहा। इसका आयोजन भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय के नेतृत्व वाले 'भारतीय मतदाता संगठन' ने किया था।


पटना उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आई ए अंसारी और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेड यू खान ने भी कार्यक्रम में अपने विचार रखे। कार्यक्रम में अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल अमन लेखी भी शरीक हुए। न्यायमूर्ति अंसारी ने कहा कि नागरिक कानूनों में एकरूपता एक स्वागत योग्य कदम है, लोगों को इसकी पड़ताल करनी चाहिए कि उनके खुद के पर्सनल लॉ में क्या बदलाव किये जा सकते हैं--जैसे कि उत्तराधिकार में मुस्लिम महिलाओं का हिस्सा मौजूदा एक तिहाई से बढ़ा कर आधा करना।


उन्होंने कहा, ''बदलाव का हमेशा ही प्रतिरोध होगा लेकिन हमारे कानून में जो कुछ बदल सकता है उसे बदला जाना चाहिए।'' न्यायमूर्ति खान ने कहा कि समान नागरिक संहिता एक स्वागत योग्य और नवोन्मेषी अवधारणा है तथा लैंगिक न्याय, समानता और महिलाओं की गरिमा के लिये इसकी जरूरत है।


उन्होंने कहा कि समान संहिता सभी को न्याय मुहैया करने में मदद करेगी। वहीं, लेखी ने कहा कि संविधान में समान नागरिक संहिता बनाने के लिये एक प्रावधान है। उन्होंने यह भी कहा कि यह आशंका करने की कोई जरूरत नहीं है कि समान नागरिक संहिता किसी खास धार्मिक समूह पर लागू होगी। उन्होंने कहा कि यह समान रूप से सब पर लागू होगी।


उपाध्याय के संगठन ने समान नागरिक संहिता की जरूरत पर चर्चा के लिये वहां उपस्थित लोगों के हस्ताक्षर के लिये उनके बीच एक संकल्प पत्र भी वितरित किया, जिसे प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजा जाएगा। उपाध्याय अधिवक्ता भी हैं और उन्होंने इस साल मई में दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर समान नागरिक संहिता बनाने के लिये केंद्र सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया था। बाद में, इस तरह की अन्य याचिकाएं भी दायर की गई।


उच्च न्यायालय नौ दिसंबर को इस विषय में दलीलें सुनने वाला है capacity news 


Popular posts
<no title>*ब्रेकिंग* भोपाल कलेक्टर का आदेश। केंद्र द्वारा दी गयी राहत का भोपाल में नहीं होगा असर। केंद्र ने दी है दुकानें खोलने की छूट। राज्यों को दिए हैं दुकान खोलने के मामले में फैसला लेने का अधिकार। भोपाल कलेक्टर ने आज आदेश जारी करके कहा कि 3 मई तक कोई छूट नहीं रहेगी। 3 मई के बाद समीक्षा करके आगे का फैसला लिया जाएगा।
*पत्रकारों के लिए क्या....?* केंद्र सरकार और प्रदेश की सरकार के द्वारा जिस तरह बीपीएल कार्ड धारियों, श्रमिकों और किसानों इत्यादि को जिस तरह से राहत राशियां एवं मुफ्त खाद्य सामग्री प्रदान करने की घोषणा की गई है, क्या इसी तरह पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य करने वाले पत्रकारों के हितों का भी सरकारों के द्वारा ख्याल नहीं रखना चाहिए? देश में आज नाम मात्र के बराबर अपने जोखिम भरे कार्यों के बदले पारितोषिक प्राप्त करने वाले पत्रकारों की संख्या नगण्य है। *ज्यादातर पत्रकार बगैर किसी सैलरी या मेहनताने के काम करते हैं,* ऐसी स्थितियों में उन पत्रकारों को भी अपने घर परिवार के भरण-पोषण विशेषकर ऐसी विकराल परिस्थितियों में तो और भी कठिन चुनौतियों से गुजरना पड़ता है। *क्या ऐसी स्थितियों में हमारी सरकारों को पत्रकारों के प्रति भी संवेदनशील नहीं होना चाहिए??* पत्रकारिता जैसे चुनौतीपूर्ण कार्य करने वाले उन सभी पत्रकारों को हमारी सरकारों के द्वारा कुछ ना कुछ राहत राशि प्रदान कर संबल प्रदान करने की आवश्यकता है। जिससे कि आने वाले समय में लोकतंत्र का यह चौथा स्तंभ और मजबूती के साथ खड़ा होकर अपनी जिम्मेदारियों को भरपूर तरीके से कार्यों का निर्वहन कर सके। कहते हैं *भूखे भजन न होय गोपाला, जा धरी तुम्हारी कंठी माला।।* भूखे पेट समाज सेवा नहीं होती, समाज को सजगता प्रदान करने हेतु अपनी कलम के माध्यम से प्रेरित कर लोगों को आगाह करने वाला लोकतंत्र का यह *चौथा स्तंभ आज पूरी तरह उपेक्षा का शिकार* है। जिस पर हमारी *सरकारों एवं जनप्रतिनिधियों को ध्यान देने की आवश्यकता* है । 🙏🏻🙂🙏🏻🤷🏻‍♂✒️✒️
मध्यप्रदेश युवक कॉंग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सैय्यद सऊद हसन द्वारा जारी किया गया Facebook Post काफ़ी चर्चा का विषय बन गया है। इस में उन्होंने भोपाल सांसद प्रज्ञा ठाकुर का लापता होने की बात कही है। इंगलैंड की De. Montfort University Students Union (डि. मॉंट्फ़ोर्ट यूनिवर्सिटी छात्र संघ) के उपाध्यक्ष (वाइस प्रेज़िडेंट) रह चुके इस युवा नेता ने बताया कि भोपाल सांसद लगातार ग़ायब हैं और इस कोरोना महामारी की मार झेल रहे भोपाल जिसने उन्हें सांसद बनाया उस शहर की उन्हें कोई चिंता नहीं। जहाँ एक तरफ़ कमल नाथ एवं दिग्विजय सिंह लगातार मध्यप्रदेश की जनता के भलाई का काम कर रहे हैं वही दूसरी तरफ़ प्रज्ञा ठाकुर जैसी नेता का कोई अता पता नहीं है। अंत में सैय्यद सऊद हसन ने कहा भोपाल की जनता ऐसे नेताओं को कभी माफ़ नहीं करेगी और सही समय आने पर सबक़ सिखाएगी
Image
कुदरत का कहर भी जरूरी था साहब हर कोई खुद को खुदा समझ रहा था। जो कहते थे,मरने तक की फुरसत नहीं है वो आज मरने के डर से फुरसत में बेठे हैं। माटी का संसार है खेल सके तो खेल। बाजी रब के हाथ है पूरा साईंस फेल ।। मशरूफ थे सारे अपनी जिंदगी की उलझनों में,जरा सी जमीन क्या खिसकी सबको ईश्वर याद आ गया ।। ऐसा भी आएगा वक्त पता नहीं था, इंसान डरेगा इंसान से ही पता नहीं था
एल बी एस हॉस्पिटल पर इलाज न करने का आरोप