*ऑक्सीजन पर था ,अब वेंटिलेटर की जरूरत है भोपाल मेमोरियल अस्पताल को ।*
भोपाल गैस पीड़ित के लिए बना भोपाल मेमोरियल एक ज़माने में बीमार गैस पीड़ितों के लिए वरदान हुआ करता था, वरदान अब अभिशाप में बदल गया । इसका जीता जागता उदाहरण है अब्दुल जब्बार जिन्होंने सैकड़ों गैस पीड़ितों को भोपाल मेमोरियल में इलाज करवाया जब उनकी बारी आई अस्पताल ने जब्बार के इलाज के लिए हाथ खड़े कर दिए ,जब उनको कमला नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया गया तब तक उनकी हालत चिंताजनक हो चुकी थी, पल पल जब्बार मौत के करीब घसीटते जा रहे थे । सरकार ने खानापूर्ति करने के लिए उनको चिरायु अस्पताल में भर्ती कराया ।
*"बहुत देर कर दी सनम तुमने आते आते "*
यह कहावत हमारे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर एवं कांग्रेस सरकार के मंत्रियों पर सटीक बैठती है ,जब जब्बार अपनी जिंदगी की आखिरी सांसे गिन रहे थे ,तब सरकार को होश आया और दिग्विजय सिंह ,जब्बार से मिलने भोपाल के चिरायु अस्पताल पहुंचे । पूर्व मुख्यमंत्री ने गैस पीड़ितों के लिए बनाए गए कमला नेहरू अस्पताल की पोल खोल दी , *उनका कहना था कमला नेहरू अस्पताल वालों ने तुम्हारी यह हालत कर दी* चलो तैयारी करो तुम्हारा इलाज मुंबई के अस्पताल में करवाएंगे ।
जब प्रदेश मे कांग्रेस सरकार है उसी सरकार का पूर्व मुख्यमंत्री जिसने प्रदेश में 10 साल राज किया ,आज वही प्रदेश के गैस पीड़ितो के अस्पतालों की पोल खोल रहे है, जब गैस पीड़ित नेता का यह हाल हुआ तो आप सोचे एक आम गैस पीड़ित का क्या हाल होता होगा ।
*प्राइवेट अस्पतालों के मालिक नहीं चाहते सुधार हो भोपाल मेमोरियल अस्पताल का ।* भोपाल के एक बहुत बड़े अस्पताल के डायरेक्टर की पत्नी है भोपाल मेमोरियल की मुखिया जब से वह मुखिया बनी है , भोपाल मेमोरियल अस्पताल में डॉक्टरों की कमी एक आम बात हो गई है , गैस पीड़ितों को हफ्तों इंतजार करना पड़ता है सोनोग्राफी के लिए, एक्स-रे के लिए लंबी-लंबी लाइनें घंटों इंतजार करने के बाद आता है नंबर एवं दवाइयों का टोटा ।
*भोपाल मेमोरियल अस्पताल किसी के बाप की जागीर नहीं* इस अस्पताल के असली मालिक है ,भोपाल के गैस पीड़ित जो मुआवजा भोपाल गैस पीड़ितों को मिला था उसी पैसे से भोपाल मेमोरियल अस्पताल एवं यूनिटो की स्थापना की गई और सरकार की यह दलील थी, इससे भोपाल के गैस पीड़ितों को उच्च स्तरीय इलाज उपलब्ध कराया जाएगा पर अब अस्पताल की स्थिति देखते हुए यह लगता है केंद्र सरकार ने भोपाल गैस पीड़ितों के साथ खिलवाड़ किया और भोपाल गैस पीड़ितों को *मुंगेरीलाल के हसीन सपने दिखाए*
मैं आपको भोपाल मेमोरियल अस्पताल के कुछ कारनामो के बारे में बताना चाहता हूं । करोड़ों रुपए की मशीनें है, पर उसके पुर्जे गायब या खराब ।
*दर-दर भटक रहा है गरीब गैस पीड़ित बच्ची के इलाज के लिए* भोपाल मेमोरियल अस्पताल के डॉक्टरों ने उस बच्ची के इलाज के लिए हाथ खड़े कर दिए अस्पताल प्रबंधन का कहना है ,अस्पताल में मशीन तो है पर उसका पुर्जा खराब है ,जब मशीन का पुर्जा आएगा तब इलाज संभव है ,यह गरीब गैस पीड़ित अपनी बच्ची के लिए दर-दर अस्पतालों में भटक रहा है ,उस गैस पीड़ित की बच्ची को ब्रेन ट्यूमर है ,और उस बच्ची की आंखों की रोशनी धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है। इसके इलाज में प्राइवेट अस्पताल में पच्चीस लाख का खर्चा आ रहा है, पान की दुकान चलाने वाले गैस पीड़ित को इलाज के खर्चे का पता चला तो उसके पैरों के नीचे से जमीन निकल गई । वह गैस पीड़ित अपनी बेटी की मौत के लिए पल पल का इंतजार कर रहा है ।
बचे हुए गैस पीड़ित यह सोचते हैं अच्छा होता 2 दिसंबर 1984 की काली रात में आइसोसायनाइड उनकी भी जान ले लेती ,इलाज के अभाव में तिल तिल मरने से अच्छा है ,उसी रात मर जाते ।
5,24,778 गैस पीड़ितों की लड़ाई लड़ने वाले अब्दुल जब्बार किस बीमारी से पीड़ित थे आइए मैं बताता हूं , मधुमेह एवं आइसोसायनाइड गैस से आंखों की रोशनी धीरे-धीरे खत्म होना पैर में गग्रीन और हृदय रोग से पीड़ित जिन्होंने 1984 से लेकर अपने जीवन के अंत तक गैस पीड़ितों की लड़ाई लड़ी और मुफलिसी में अपना जीवन गुजारा मुफलिसी का यह हाल फटा हुआ जूता बारिश के मौसम में पहनने के कारण पैर में जख्म हो गए कुछ महीनों में यह जख्म गैंग्रीन में बदल गए ।
ऑक्सीजन पर था ,अब वेंटिलेटर की जरूरत है भोपाल मेमोरियल अस्पताल को ।*