क्यों भाजपा के हाथों से महाराष्ट्र की सत्ता फिसली ? कब अजीत पवार थके मांदे घर वापस लौटे?

 


            क्यों भाजपा के हाथों से महाराष्ट्र की सत्ता फिसली ? कब अजीत पवार थके मांदे घर वापस लौटे? कैसे माहभर से तरसते उद्धव ठाकरे ने अंततः कुर्सी हथिया ही ली? जवाब में दावे कई राजनेता ठोंकेंगे, क्योंकि सफलता के बाप कई पैदा हो जाते हैं| यदि कहीं देवेन्द्र फड़नवीस बने रहते ? सभी दावेदार किनारा कर लेते| अकेले अर्थात् अमित शाह लगे रहते|  वे भी पस्त हो गए| तिकड़म और चालाकी में अद्वितीय मराठा महाबली शरदचंद्र गोविंदराव पवार भी पिछड़ गये| अतः अरब सागर तट पर शिव सेना के जाफरानी परचम लहराने का समूचा श्रेय        पवार-परिवार की केवल महिलाओं को ही जाता है | सिवाय सांसद सुप्रिया के, वे सभी इस राजनीति से कोसों दूर रहीं, और हैं भी| इन त्रियाओं में करवा चौथ, छठ, नवरात्रि, वरलक्ष्मी व्रत सभी पर्वों पर दिखनेवाले हठ और लगन का पुंजीभूत भाव पेश आया था? सवाल था परिवार की मर्यादा बचाने का | एक साठ साल का “भटका बच्चा” कबीले से छूट गया था, तो उसे पकड़ लाने की मुहिम चली थी| इसमें बुआ को, ताई को, चाची को, बहन को, भाभी को, कुल मिलाकर सारे पवार स्त्रियों को दाद देनी पड़ेगी| 
            अजीत पवार के पिता अनन्तराव कम उम्र में दुनिया छोड़ गए थे| अनाथ बालक को पाला–पोसा प्रतिभा (शरद) चाची ने| उन्हींने अजीत को संदेसा भिजवाया कि “सरकारें तो आती-जाती रहती हैं, परिवार सदैव निरंतर और संयुक्त ही रहना चाहिए है|” मगर उनके पति (शरद) अपने प्रिय भतीजे से सप्ताह भर तक बोले नहीं| गुस्सा पुरुष को शायद अधिक आता है| द्रोह पर क्रोध आना स्वाभाविक था|
            सरोज बुआ, रजनी ताई, मीनाबाई सभी मान-मनौवल में लगे रहे| सोशल मीडिया पर बचपन की ग्रुप फोटो डाली गई एक अपील के साथ; “वापस आओ| भाजपा को तजो|” 
          और फिर भतीजा अजीत लौट आया| उनका उप-मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र पाते ही फड़नवीस समझ गए कि बहुमत का एकमात्र सहारा छिटक गया| पवार ने राजनीतिक परिपक्वता दिखायी| अमिताभ अनिलचन्द्र शाह भी समझ गये कि भाजपाई नीड़ से अजीत पवार के उड़ जाने से अब मात्र फूस बची है, सूखी हुई| किसी काम की नहीं| नारी शक्ति की जय हो| कुल विधायकों के बस अठारह फीसद पाने वाली सोनिया गाँधी कोई नया पैंतरा न चलें| उन्हें संतुष्ट हो जाना चाहिए| क्योंकि ठाकरे की हिंदुत्ववाली मशहूर पार्टी अब सोनिया सेना कहलाती है|


Capacity News 


Popular posts
<no title>*ब्रेकिंग* भोपाल कलेक्टर का आदेश। केंद्र द्वारा दी गयी राहत का भोपाल में नहीं होगा असर। केंद्र ने दी है दुकानें खोलने की छूट। राज्यों को दिए हैं दुकान खोलने के मामले में फैसला लेने का अधिकार। भोपाल कलेक्टर ने आज आदेश जारी करके कहा कि 3 मई तक कोई छूट नहीं रहेगी। 3 मई के बाद समीक्षा करके आगे का फैसला लिया जाएगा।
*पत्रकारों के लिए क्या....?* केंद्र सरकार और प्रदेश की सरकार के द्वारा जिस तरह बीपीएल कार्ड धारियों, श्रमिकों और किसानों इत्यादि को जिस तरह से राहत राशियां एवं मुफ्त खाद्य सामग्री प्रदान करने की घोषणा की गई है, क्या इसी तरह पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य करने वाले पत्रकारों के हितों का भी सरकारों के द्वारा ख्याल नहीं रखना चाहिए? देश में आज नाम मात्र के बराबर अपने जोखिम भरे कार्यों के बदले पारितोषिक प्राप्त करने वाले पत्रकारों की संख्या नगण्य है। *ज्यादातर पत्रकार बगैर किसी सैलरी या मेहनताने के काम करते हैं,* ऐसी स्थितियों में उन पत्रकारों को भी अपने घर परिवार के भरण-पोषण विशेषकर ऐसी विकराल परिस्थितियों में तो और भी कठिन चुनौतियों से गुजरना पड़ता है। *क्या ऐसी स्थितियों में हमारी सरकारों को पत्रकारों के प्रति भी संवेदनशील नहीं होना चाहिए??* पत्रकारिता जैसे चुनौतीपूर्ण कार्य करने वाले उन सभी पत्रकारों को हमारी सरकारों के द्वारा कुछ ना कुछ राहत राशि प्रदान कर संबल प्रदान करने की आवश्यकता है। जिससे कि आने वाले समय में लोकतंत्र का यह चौथा स्तंभ और मजबूती के साथ खड़ा होकर अपनी जिम्मेदारियों को भरपूर तरीके से कार्यों का निर्वहन कर सके। कहते हैं *भूखे भजन न होय गोपाला, जा धरी तुम्हारी कंठी माला।।* भूखे पेट समाज सेवा नहीं होती, समाज को सजगता प्रदान करने हेतु अपनी कलम के माध्यम से प्रेरित कर लोगों को आगाह करने वाला लोकतंत्र का यह *चौथा स्तंभ आज पूरी तरह उपेक्षा का शिकार* है। जिस पर हमारी *सरकारों एवं जनप्रतिनिधियों को ध्यान देने की आवश्यकता* है । 🙏🏻🙂🙏🏻🤷🏻‍♂✒️✒️
मध्यप्रदेश युवक कॉंग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सैय्यद सऊद हसन द्वारा जारी किया गया Facebook Post काफ़ी चर्चा का विषय बन गया है। इस में उन्होंने भोपाल सांसद प्रज्ञा ठाकुर का लापता होने की बात कही है। इंगलैंड की De. Montfort University Students Union (डि. मॉंट्फ़ोर्ट यूनिवर्सिटी छात्र संघ) के उपाध्यक्ष (वाइस प्रेज़िडेंट) रह चुके इस युवा नेता ने बताया कि भोपाल सांसद लगातार ग़ायब हैं और इस कोरोना महामारी की मार झेल रहे भोपाल जिसने उन्हें सांसद बनाया उस शहर की उन्हें कोई चिंता नहीं। जहाँ एक तरफ़ कमल नाथ एवं दिग्विजय सिंह लगातार मध्यप्रदेश की जनता के भलाई का काम कर रहे हैं वही दूसरी तरफ़ प्रज्ञा ठाकुर जैसी नेता का कोई अता पता नहीं है। अंत में सैय्यद सऊद हसन ने कहा भोपाल की जनता ऐसे नेताओं को कभी माफ़ नहीं करेगी और सही समय आने पर सबक़ सिखाएगी
Image
कुदरत का कहर भी जरूरी था साहब हर कोई खुद को खुदा समझ रहा था। जो कहते थे,मरने तक की फुरसत नहीं है वो आज मरने के डर से फुरसत में बेठे हैं। माटी का संसार है खेल सके तो खेल। बाजी रब के हाथ है पूरा साईंस फेल ।। मशरूफ थे सारे अपनी जिंदगी की उलझनों में,जरा सी जमीन क्या खिसकी सबको ईश्वर याद आ गया ।। ऐसा भी आएगा वक्त पता नहीं था, इंसान डरेगा इंसान से ही पता नहीं था
एल बी एस हॉस्पिटल पर इलाज न करने का आरोप