कब्रिस्तान बाकी ही नहीं रहे. शहर में करीब १८० कब्रिस्तान थे। एक-एक कर करीब डेढ़ सौ कब्रिस्तान खत्म हो चुके हैं। करीब ३० ही अब बाकी बचे हैं।

कब्रिस्तान बाकी ही नहीं रहे. शहर में करीब १८० कब्रिस्तान थे। एक-एक कर करीब डेढ़ सौ कब्रिस्तान खत्म हो चुके हैं। करीब ३० ही अब बाकी बचे हैं।


भोपाल.बड़ा बाग़  लेकिन अब इस कब्रिस्तान में कोई कब्र बाकी नहीं। पता ही नहीं चल रहा रिश्तेदार कहां दफन हैं। कहीं दुकानें बन गईं तो कहीं गाडिय़ां खड़ी हैं। सड़क पर खड़े होकर ही फातिहा पढ़कर लौट जाते हैं। ये कहना है लक्ष्मी टॉकीज के पास रहने वाले मोहम्मद शाहिद खान  का।  के रिश्तेदार कब्रिस्तान में दफन हैं, लेकिन अब उनकी कब्रों का नामोनिशान नहीं बचा। यहां मिर्जा परिवार ओर नवाब परिवार  के कई लोगों की
कब्र थीं।
ऐसे एक दो मामले नहीं बल्कि कई परिवार हैं जिनके परिजनों की कब्र लापता हो गई। वे कब्रिस्तान बाकी ही नहीं रहे जहां उनके पूर्वज और सगे संबंधियों को दफन किया गया था। जानकारी के अनुसार पहले शहर में करीब १८० कब्रिस्तान थे। इनके आसपास पहले बसाहट हुई फिर कब्जे हो गए। एक-एक कर करीब डेढ़ सौ कब्रिस्तान खत्म हो चुके हैं। करीब ३० ही अब बाकी बचे हैं।
कहीं आशियाने तो कहीं सरकारी विभागों का कब्जा
शहर में कुछ कब्रिस्तान ऐसे हैं जिन पर सरकारी विभागों के दफ्तर हैं। इनमें पीएचक्यू, पुलिस कंट्रोल रूम शामिल हैं। मामले में वक्फ बोर्ड ने पहले नोटिस भी जारी किए थे। लांबाखेड़ा में कब्रिस्तान पर कॉलेज बन गया। शाहजहांनाबाद में पीडब्ल्यूडी का दफ्तर है। कुछ स्थानों पर ये निगम के कब्जे में भी हैं। शहर के आसपास कुछ कब्रिस्तानों पर कॉलोनी भी बन चुकी हैं।
शब-ए-बारात आने के कुछ समय पैहले कुछ हल्का पुल्का काम करते हैं फिर एक साल के लिये सो जाते हैं निगम ओर ज़िम्मे दार  
भोपाल टॉकीज के पास बड़ा बाग कब्रिस्तान सहित शहर के सभी कब्रिस्तानों में नगर निगम के जरिए साफ सफाई से लेकर रोशनी के इंतजाम कराए जाने चाहीये। पूरी रात इनमें लोगों की आवाजाही लगी रहती है  जिसके चलते ये इंतजाम किए जाने चाहीये ।


( नयी समितियों का गठन करा जाना चहीये )
लाईट,बओन्ड्री, Cc.tv.camera .
अवं ज़रूरत की अन्ये चीजें 
मोहीया की जाना चहीये 


राजधानी के प्राचीन कब्रिस्तानों में बड़ा बाग, मुल्कनबी, गंजशहीदा शामिल हैं। बड़ा बाग में कब्रों की संख्या अधिक होने से यहां दफन के लिए जगह बहुत कम बची है। इसका अधिकांश हिस्सा भर चुका है।
शहर के करीब ८० फीसदी कब्रिस्तान खत्म हो गए। इन पर कब्जे हो चुके हैं, कहीं चारों ओर कॉलोनी बनने से इन पर कबाड़ का ढेर लगा दिया गया। कब्रों का तो नामोनिशान तक बाकी नहीं रहा। इन्हें बचाने के लिए कई बार वक्फ बोर्ड, नगर निगम को ज्ञापन दे चुके हैं। समिति अपने स्तर पर कोई भी काम को कर नही रही हैं। ध्यान न दिया गया बचे बीस फीसदी भी खत्म हो जाएंगे।
- अनिस भाई, कब्रिस्तान बचाओ संघर्ष समिति
कब्रिस्तानों से अतिक्रमण हटाने को लेकर त्य्यारी कर रहा है। 


*CAPACITY NEWS*


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