*Institution of Eminence दर्जा, लेकिन पूरे पैसे नहीं दे रही सरकार! IIT और IISc ने उठाए सवाल*
Updated: Nov 17 2019 10:45 AM |
केंद्र सरकार की तरफ से देश के शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों को इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस का दर्जा देने के बावजूद सरकार की तरफ से उन्हें पूरा फंड नहीं दिया जा रहा है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की तरफ से इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस का दर्जा प्राप्त आईआईटी मुंबई, आईआईटी दिल्ली और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस केंद्र सरकार की तरफ से फंड जारी करने की सुस्त रफ्तार पर चिंता व्यक्त कर चुके हैं।
26 सितंबर को इम्पावर्ड एक्सपर्ट कमेटी के समक्ष प्रेजेंटेशन में तीनों संस्थानों ने इस मुद्दे को उठाया। इन संस्थानों का कहना था कि अपर्याप्त फंड के कारण आईओई के तहत योजनाओं के क्रियान्वयन में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय को इन सार्वजनिक संस्थानों को पांच साल में 1000 करोड़ रुपये की राशि दी जानी है।
जुलाई 2018 से आईआईटी दिल्ली को 93 करोड़ रुपये मिलने हैं जबकि उसे अब तक 200 करोड़ रुपये मिल जाने चाहिए थे। वहीं इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस को पहले साल में 167 करोड़ रुपये मिलने थे जिसमें से अभी 78 करोड़ रुपये ही मिले है। इसके अलावा आईआईटी बॉम्बे को अभी 43 करोड़ रुपये मिले है।
संस्थान की तरफ से पहले ही इस साल मई में अधिक फंड के लिए आग्रह किया जा चुका है लेकिन अभी तक किसी भी तरह का फंड नहीं मिला है। इस संबंध में जब इम्पावर्ड एक्सपर्ट कमेटी के अध्यक्ष एन. गोपालास्वामी से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि आपको जो कुछ भी बताया गया है वह सच नहीं है। आप उनसे पूछें कि क्या वो पहले से दिए गए पैसे को खर्च करने में सक्षम हैं।
इम्पावर्ड एक्सपर्ट कमेटी का काम आईओसी के लिए संस्थाओं के नाम की सिफारिश करने के साथ ही उनके प्रगति की निगरानी रखना है। संडे एक्सप्रेस से बातचीत में एचआरडी मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आईओसी दर्जा प्राप्त संस्थानों की तरफ से फंड का जो मुद्दा उठाया गया है वह खर्च नहीं हुए फंड से संबद्ध है। अधिकारी ने कहा कि फंड को जारी करने के अपने नियम कायदे हैं।