*देश की आर्थिक राजधानी महाराष्ट्र की राजनैतिक मण्डी सट्टा बाजार पर भारी !*
हिन्द की अर्थ व्यवस्था को मजबूत करने वाली राजधानी महाराष्ट्र की राजनीति सत्ता का अखाड़ा बन चुकी है । महाराष्ट्र की राजनैतिक मण्डी शेयर बाजार पर भारी पड़ रही है । शेयर बाजारों के भाव इतनी जल्दी नहीं बदलते जितनी तेजी से विधायकों के समर्थन पत्र बदल रहे हैं । सट्टा बाजार पर महाराष्ट्र की राजनैतिक दलों की मंडी भारी पड़ रही है ।
सियासत के खेल मे कभी कभी ऐसे मोड़ भी आते हैं जब खिलाड़ी अपनी अस्मत को भी दांव पर लगाने से पीछे नहीं हटता अंजाम चाहे कुछ भी हो !
बिरासत मे मिली संपत्ति,राजनीति,कुर्सी, शौहरत,आदि के अक्सर यही रंग देखने को मिलते हैं ! शतरंज की बिसात पर खड़े मौहरे भी कुछ समझ नहीं पाते कि आगे क्या होने वाला है पक्ष और विपक्ष के खिलाड़ी दांव पर दांव लगाते हुए नए पेच अजमाकर बाजी हाथ मे लेने की कोशिश मे जुटे रहते हैं दर्शक मूकदर्शक बने देखते रहते हैं ! सवाल यह नहीं कि सरकार किसकी बनती है अपितु सवाल यह है कि जिस जनता ने बड़े अरमानों के साथ भरोसा करके विधायक निर्वाचित किए वो किस हद तक जा सकते हैं ? बेचारी जनता तो सिर्फ वोट देने के लिए बनी है बाकी बंदरबांट तो सियासद्दानो को मिलकर ही करना है ना ❓
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